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"उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता!  
 
उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता!  
जहां पर जिन्दगी है, मै वहीं होता तो क्या होता!
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जहां पर ज़िन्दगी है, मै वहीं होता तो क्या होता!
  
 
बहुत से वक्त ऐसे भी कटे हैं जब कि घबराकर
 
बहुत से वक्त ऐसे भी कटे हैं जब कि घबराकर
 
ये सोचा मैंने मन में, मैं नहीँ होता तो क्या होता!
 
ये सोचा मैंने मन में, मैं नहीँ होता तो क्या होता!
  
हुआ है दिल तो घायल बेरुखी से ही उन आँखों की
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हुआ है दिल तो घायल बेरुख़ी से ही उन आँखों की
 
जो थोड़ा प्यार भी उनमें कहीं होता तो क्या होता!
 
जो थोड़ा प्यार भी उनमें कहीं होता तो क्या होता!
  

09:24, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता!
जहां पर ज़िन्दगी है, मै वहीं होता तो क्या होता!

बहुत से वक्त ऐसे भी कटे हैं जब कि घबराकर
ये सोचा मैंने मन में, मैं नहीँ होता तो क्या होता!

हुआ है दिल तो घायल बेरुख़ी से ही उन आँखों की
जो थोड़ा प्यार भी उनमें कहीं होता तो क्या होता!

गुलाब! अच्छे हैं काँटें भी जो सीने से लगाए हैं
सहारा यह भी जीने का नहीँ होता तो क्या होता!