भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उम्र है / अमित कुमार मल्ल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:24, 12 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमित कुमार मल्ल |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उम्र है
पड़ाव है
कुंठा है
या समझौता है
कह नहीं सकता

सच है
सच है, जो सामने है
सच है
लड़ नहीं सकता

तू है
तो ठीक
नहीं है
ठीक है
चाह नहीं सकता

प्रेम है
नफ़रत है
मुहब्बत
घृणा, स्वार्थ है
बच नहीं सकता

मैं ही हूँ राम
विभीषण
भरत
और रावण
भाग नहीं सकता