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"उसने हमसे कभी वफ़ा न की/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर
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बहुत बोलते हैं सब ने कहा | बहुत बोलते हैं सब ने कहा | ||
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उसने कही और हमने मानी | उसने कही और हमने मानी | ||
उसकी कोई बात मना न की | उसकी कोई बात मना न की | ||
− | ख़ता-ए-इश्क़ के बाद | + | ख़ता-ए-इश्क़ के बाद ख़ुदाया |
− | फिर | + | फिर दूसरी कोई ख़ता न की |
− | बात थी सो दिल में रह गयी | + | इक बात थी सो दिल में रह गयी |
− | सामने पड़े तो नुमाया न की | + | सामने पड़े तो नुमाया<ref>प्रकट</ref> न की |
− | जिससे मुँह फेर लिया | + | जिससे मुँह फेर लिया एक बार |
फिर कभी बात आइंदा न की | फिर कभी बात आइंदा न की | ||
उम्मीद मर गयी सो मर गयी | उम्मीद मर गयी सो मर गयी | ||
− | वह बाद कभी ज़िन्दा न की | + | वह बाद में कभी ज़िन्दा न की |
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23:48, 19 मार्च 2011 का अवतरण
रचना काल: 2004
उसने हमसे कभी वफ़ा न की
और हमने भी तमन्ना न की
बहुत बोलते हैं सब ने कहा
हमने आदत-ए-कमनुमा<ref>कम बोलने की आदत डालना</ref> न की
बहुत से आये बहुत गये मगर
मैंने जाँ किसी पे फ़िदा न की
उसने कही और हमने मानी
उसकी कोई बात मना न की
ख़ता-ए-इश्क़ के बाद ख़ुदाया
फिर दूसरी कोई ख़ता न की
इक बात थी सो दिल में रह गयी
सामने पड़े तो नुमाया<ref>प्रकट</ref> न की
जिससे मुँह फेर लिया एक बार
फिर कभी बात आइंदा न की
उम्मीद मर गयी सो मर गयी
वह बाद में कभी ज़िन्दा न की
चोट दोस्तों ने ही दी 'नज़र'
किसी से नज़रे-आशना न की
साँचा:KK Meaning