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ऊधो वक़्त हो गया नंगा / आनन्दी सहाय शुक्ल

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ऊधो वक़्त हो गया नंगा ।।
हाजी बखिया बीन बजायें नाचें बिल्ला-रंगा ।।

विधि विधान पुस्तक में सोए
ओढ़े कफ़न तिरंगा
जंगल का कानून चतुर्दिक
लाठी राज अभंगा
घर बाहर दहशत के डेरे कोई साथ न संगा ।

मनु का रक्त स्वास्थ्यवर्द्धक अति
पीने वाला चंगा
रोगी जल में कहाँ हिलोरें
उर्मिल मस्त तंरगा
शिव के जटा-जूट जा बैठी पतित पावनी गंगा ।।