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एक के महातम... / कोदूराम दलित

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का कर सकिही हमर एक हर ? अइसन कभू कहो झन भाई ।
जऊन एक ला हीनत रहिथौ तऊन एक के सुनो बड़ाई ।।

डब्बी के एक्के काड़ी माँ सब्बो जंगल हर जर जाथे,
एक्के बघवा के पहुँचे ले सब्बो कोलिह्या मन थर्राथे,
एक्के ठन बिच्छी हर चाबे सुरता आय ददा अऊ दाई,
का कर सकिही हमर एक हर ? अइसन कभू कहो झन भाई ।
जऊन एक ला हीनत रहिथौ तऊन एक के सुनो बड़ाई ।।

एक्के नंबर लइका मन ला पास फेल सब करवा देथे,
एक्के सूझ जंग माँ भइया जितवा देथे-हरवा देथे,
एक्के ठन गिर जाय गाज तो परवत होथे राई-छाई,
का कर सकिही हमर एक हर ? अइसन कभू कहो झन भाई ।
जऊन एक ला हीनत रहिथौ तऊन एक के सुनो बड़ाई ।।

एक्के ठन हनुमान बहुत बड़ परबत अधर उठा के लाईस,
दुःख में काम पड़ीस मालिक के लछमन जी के प्राण बचाइस,
एक भागीरथ सब झन खातिर लाइस जाके गंगा माई,
 का कर सकिही हमर एक हर ? अइसन कभू कहो झन भाई ।
जऊन एक ला हीनत रहिथौ तऊन एक के सुनो बड़ाई ।।

एक्के गाँधी के मारे हड़बड़ा गइन फिरंगी,
एक्के झाँसी के रानी हर जौंहर मता दे रहिस संगी,
एक्के नेहरु के मानयँ तो दुनिया के हो जाय भलाई,
 का कर सकिही हमर एक हर ? अइसन कभू कहो झन भाई ।
जऊन एक ला हीनत रहिथौ तऊन एक के सुनो बड़ाई ।।

ये किसम मोर भैया हो हमरो मा साहस हे, बल हे,
भूले हन हम अपन-आप ला हमरो कना गजब अक्कल हे,
अच्छा तो आओ जुरमिल के अपन देश ला खूब सजाई
का कर सकिही हमर एक हर ? अइसन कभू कहो झन भाई ।
जऊन एक ला हीनत रहिथौ तऊन एक के सुनो बड़ाई ।।