"एक छोटे-से शहर में / योसिफ़ ब्रोदस्की" के अवतरणों में अंतर
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उतार फेंकती है जैसे महानता का बोझ और | उतार फेंकती है जैसे महानता का बोझ और | ||
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और काल रूखी नज़र से देखता है औपनिवेशिक दुकान की तरफ़ | और काल रूखी नज़र से देखता है औपनिवेशिक दुकान की तरफ़ | ||
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तो पादरी को नाम देने के लिए कोई न मिलता | तो पादरी को नाम देने के लिए कोई न मिलता | ||
सिवा मोटरगाड़ियों के । | सिवा मोटरगाड़ियों के । | ||
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चाँद तैरता हुआ प्रवेश करता है वर्गाकार खिड़की में । | चाँद तैरता हुआ प्रवेश करता है वर्गाकार खिड़की में । | ||
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− | रोशन कर देती है अज्ञात सैनिक के | + | रोशन कर देती है अज्ञात सैनिक के स्मारक को । |
यहाँ तुम्हारे सपनों में निकर पहने कोई औरत नहीं आती | यहाँ तुम्हारे सपनों में निकर पहने कोई औरत नहीं आती | ||
बल्कि दिखाई देता है लिफ़ाफ़े पर लिखा अपना ही पता । | बल्कि दिखाई देता है लिफ़ाफ़े पर लिखा अपना ही पता । | ||
यहाँ सुबह फटे हुए दूध को देखकर | यहाँ सुबह फटे हुए दूध को देखकर | ||
− | दूध देने वाला जान लेता है | + | दूध देने वाला जान लेता है तु्म्हारी मौत के बारे में । |
यहाँ जिया जा सकता हे यदि भूल सको पंचांग | यहाँ जिया जा सकता हे यदि भूल सको पंचांग | ||
पी सको ब्रोमाइड और निकल न सको बाहर कहीं | पी सको ब्रोमाइड और निकल न सको बाहर कहीं |
14:52, 18 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण
एक छोटे-से शहर में शिशिर की हवा
शहर जो अपनी उपस्थिति से चमकता है मानचित्र पर
(मानचित्र बनानेवाला शायद अधिक उत्साह में था
या नगर के न्यायाधीश की बेटी के साथ सम्बन्ध बना चुका था) ।
अपनी विचित्रताओं से यह जगह
उतार फेंकती है जैसे महानता का बोझ और
सीमित हो जाती है मुख्य सड़क तक ।
और काल रूखी नज़र से देखता है औपनिवेशिक दुकान की तरफ़
दुकान के भीतर भरा है सब कुछ
जिसे पैदा कर सकती है हमारी दुनिया
दूरबीन से लेकर छोटी-सी सूई तक।
इस शहर में सिनेमा हैं, सैलून हैं और
चिक से ढका एक अदद कॉफ़ी हाउस है
ईंट से बनी बैंक की इमारत है
जिसके ऊपर एक बाज बना है फैले पंखों वाला
और एक गिरजाघर है जिसे भूल चुके होते लोग
यदि पास में न होता अनेक शाखाओं वाला डाकघर ।
और यदि यहाँ बच्चे पैदा नहीं किए जा रहे होते
तो पादरी को नाम देने के लिए कोई न मिलता
सिवा मोटरगाड़ियों के ।
यहाँ की ख़ामोशी को सिर्फ़ टिड्डे तोड़ते हैं
छह बजे शाम को जैसे परमाणु-युद्ध के बाद
दिखाई नहीं देता एक भी आदमी ।
चाँद तैरता हुआ प्रवेश करता है वर्गाकार खिड़की में ।
कभी-कभी कहीं दूर से आती शानदार हेडलाइट
रोशन कर देती है अज्ञात सैनिक के स्मारक को ।
यहाँ तुम्हारे सपनों में निकर पहने कोई औरत नहीं आती
बल्कि दिखाई देता है लिफ़ाफ़े पर लिखा अपना ही पता ।
यहाँ सुबह फटे हुए दूध को देखकर
दूध देने वाला जान लेता है तु्म्हारी मौत के बारे में ।
यहाँ जिया जा सकता हे यदि भूल सको पंचांग
पी सको ब्रोमाइड और निकल न सको बाहर कहीं
दर्पण में देख सको
जिस तरह सड़क की बत्तियाँ
देखती हैं सूखे पोखर को ।