भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ओरियन-ओरियन बिठई परिय गइले / भोजपुरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:40, 24 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
ओरियन-ओरियन बिठई परिय गइले, अउरी परेले अधिकारी जी।
ओरियन-ओरियन पात परिय गइले, अउरी परेले अधिकारी जी।
पात के ऊपर भात परिय गइले, अउरी परेले अधिकारी जी।
भात के ऊपर दाल परिय गइले,।
दाल के ऊपर घीव परिय गइले,।
घीव के ऊपर तरकारी परिय गइले,
तरकारी के ऊपर गोश परिय गइले,।
गोश के ऊपर दही परिय गइले,।
दही के ऊपर चीनी तरकारी परिय गइले,।
जेंवें जे बइठे श्रीकृष्ण कन्हाई, सखि सब देहली गारी जी।
काहे सखिनि सब हमरा के गारी, हम लेबों पटुका पसारी जी।।
एकहिं दिन कृष्ण गइले ससुरारी, सासु के कइलन बड़ाई जी।
नव महीना माता ओद्र विखे राखे, हमरो त कबो ना बड़ाई जी।।
जुग-जुग बाढ़े पूता तोरो ससुररिया, काहें ना जइब ससुरारी जी।
राम दोहइया माता आपन किरिया, अब ना जाइब ससुरारी जी।
निति उठि जइह, निति उठि अइह, काहें ना जइब ससुरारी जी।।