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"ओस की बूंद कहती है / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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कवि कहता है : मैं भी लिख दूं | कवि कहता है : मैं भी लिख दूं |
10:57, 1 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
ओस-बूंद कहती है; लिख दूं
नव-गुलाब पर मन की बात।
कवि कहता है : मैं भी लिख दूं
प्रिय शब्दों में मन की बात॥
ओस-बूंद लिख सकी नहीं कुछ
नव-गुलाब हो गया मलीन।
पर कवि ने लिख दिया ओस से
नव-गुलाब पर काव्य नवीन॥