भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ओ मेरी तुम / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार मुकुल |अनुवादक= |संग्रह=एक उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:46, 21 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

 ओ
मेरी तुम

लुका छिपी अब
बहुत हो गयी
सारे सपने
रात धो गयी

सोग मनाना
व्यर्थ है अब तो

चलो करें
उदयोग नया कुछ
तोडें
नयी जमीन।