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और दीवाने सभी चक्कर लगाकर रह गये / गुलाब खंडेलवाल

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और दीवाने सभी चक्कर लगाकर रह गये
बस हमीं गलियों में तेरी ज़िन्दगी भर रह गये

वह उठी आँधी कि मंजिल का पता भी खो गया
दिल में जो अरमान थे दिल में तड़प कर रह गये

फ़िक्र क्या अब तो नज़र आने लगा है उनका घर
बीच में बस मील के दो-चार पत्थर रह गये

वह नज़र थी और जो दिल को उडा कर ले गयी
जब फिरी हम अपनी क़िस्मत के बराबर रह गये

कारवाँ गुजरे बहारों के भी सज-धजकर गुलाब!
तुम हमेशा बांधते ही अपना बिस्तर रह गये