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''' कनाट सरकस ''' कनाट सरकस--अर्थात, इन्द्रजालीय मार्गों के फंदे में सर का कस जाना... रतियोगियों की सिद्ध-भूमि है यहजहां रतियोग की कामना में दत्तचित्त विन्डोशापिंग के बहाने परिक्रमारत नितम्बों पर बकुल-ध्यान लगाए, --किसी पर्वतवासिनी देवी के दर्शनार्थ पर्वतारोहण करने के अंदाज़ में चलते जाना, चढ़ते जाना चढ़ते ही जाना, चलते ही जाना साधक आवेश में--अथक, अविराम... परमात्मा से कातर याचना करते हुए आज की साधना का सुफल,पर, इच्छित के पर-पुरुष-संग ह्रदय-विदारक सुदूर कार-गमन परईश्वर को भरपूर कोसते हुए हाथ मल-मल, रोते और पछताते हुए,फिर, बिखरे मनोयोग बटोरकर मध्यस्थ कामिनी-हाट लगे पार्क मेंएक सुविधाजनक कोने में जम जाना, पसर जाना--टकटकी लगाए हुए इतरगंध-प्रसारक देहों पर...