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कब कली है फूल बनती कौन ले जाता उसे / रंजना वर्मा

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कब कली है फूल बनती कौन ले जाता उसे
ये नहीं सोचा किसी ने कौन है भाता उसे

जन्म था पाया जहाँ वह घर पराया हो गया
है नये घर में ठिकाना विश्व बतलाता उसे

है हमेशा ही सुनी माँ बाप की जिस ने सदा
दे भुला परिवार वह यह कौन समझाता उसे

बेटियाँ हैं आबरू सम्मान जिस परिवार का
बाद शादी के वही क्यों भूल है जाता उसे

बेटियाँ हैं आबरू सम्मान जिस परिवार का
बाद शादी के वही क्यों भूल है जाता उसे

क्यों नहीं पूछा कभी दिल मे तेरे अरमान क्या
जन्म दे कर भूल जाने का मिला नाता उसे

मत पलट कर बोलना केवल सिखाया यह गया
नेह टूटा गेह छूटा मिला जगराता उसे

भाइयों के सामने कब चाह की कीमत हुई
ले अधूरी चाहतेँ बेबस मिली माता उसे