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कभी हँस दे, कभी रो जाए है जी / शिवशंकर मिश्र
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कभी हँस दे, कभी रो जाए है जी
हाय कैसा कभी हो जाए है जी
कोई मंजिल न तो जुस्तजू कोई
कहीं यों ही कभी खो जाए है जी