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"कभी हमसे खुलो जाने के पहले / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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नज़र भर देख लें जाने के पहले
 
नज़र भर देख लें जाने के पहले
  

09:29, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


कभी हमसे खुलो जाने के पहले
मिलें आँखें तो शरमाने के पहले

ज़रा आँसू तो थम जायें कि उनको
नज़र भर देख लें जाने के पहले

जो घायल खुद हो औरों को रुलाये
शमा जलती है परवाने के पहले

मिला प्याले में जितना कुछ बहुत है
इसे पी लो भी छलकाने के पहले

ग़ज़ल यों तो बहुत सादी थी मेरी
कोई क्यों रो दिया गाने के पहले!

गुलाब! ऐसे भी क्या चुप हो गए तुम!
खिलो कुछ रात घिर आने के पहले