भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कहत कोऊ आयौ जापान द्वार भारत के / नाथ कवि

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहत कोऊ आयौ जापान द्वार भारत के।
कोऊ कहत बर्मा सब बानै लै लीनौ है॥
कहत कोऊ नाजी गये हार अब रसिया सौं।
कोऊ कहत हिटलर नै कठिन प्रण कीनौ है॥
कहत कोऊ भारत कौ मिलि है स्वराज्य वेग।
भेज कैं फिलिप्स द्वार बन्द कर दीनौ है॥
रावण से बली विलाय गये पल भर में।
ऐसे ही विलैयै ब्रिटिश राज मत हीनौ है॥