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"कहो तो लौट जाते हैं / वसी शाह" के अवतरणों में अंतर

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अभी तो बात लम्हों तक है, सालों तक नहीं आई
 
अभी तो बात लम्हों तक है, सालों तक नहीं आई
 
अभी मुस्कानों की नौबत भी नालों तक नहीं आई
 
अभी मुस्कानों की नौबत भी नालों तक नहीं आई
अभी तो कोई मज़बूरी ख़यालों तक नहीं आई
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अभी तो कोई मजबूरी ख़यालों तक नहीं आई
 
अभी तो गर्द पैरों तक है, बालों तक नहीं आई
 
अभी तो गर्द पैरों तक है, बालों तक नहीं आई
 
कहो तो लौट जाते हैं…
 
कहो तो लौट जाते हैं…
चलो एक फैसला करने शजर<ref> दरख्त</ref>  की ओर जाते हैं
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चलो एक फ़ैसला करने शजर<ref> दरख़्त</ref>  की ओर जाते हैं
 
अभी काजल की डोरी सुर्ख़ गालों तक नहीं आई
 
अभी काजल की डोरी सुर्ख़ गालों तक नहीं आई
ज़बाँ दातों तलक है, ज़हर प्यालों तक नहीं आई
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ज़बाँ दांतों तलक है, ज़हर प्यालों तक नहीं आई
 
अभी तो मुश्क-ए-कस्तूरी<ref>कस्तूरी: नर हिरन की खुशबू </ref> ग़ज़ालों<ref> हिरणी</ref> तलक नहीं आई
 
अभी तो मुश्क-ए-कस्तूरी<ref>कस्तूरी: नर हिरन की खुशबू </ref> ग़ज़ालों<ref> हिरणी</ref> तलक नहीं आई
अभी रुदाद-बे-उन्वाँ<ref> बिना शीर्षक की कहानी </ref> हमारे दर्मियाँ है दुनियावालों तक नहीं आई
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अभी रुदाद-बे-उन्वाँ<ref> बिना शीर्षक की कहानी </ref> हमारे दर्मियाँ है
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दुनियावालों तक नहीं आई
 
कहो तो लौट जाते हैं…
 
कहो तो लौट जाते हैं…
अभी नज़दीक है घर, और मंजिल दूर है अपनी,
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अभी नज़दीक है घर, और मंज़िल दूर है अपनी,
मुबादा नार <ref> प्यार की चिंगारी भड़काना </ref>हो जाए, ये हस्ती नूर है अपनी
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मुबादा नार <ref>प्यार की चिंगारी भड़क जाना </ref>हो जाए, ये हस्ती नूर है अपनी
 
कहो तो लौट जाते हैं…
 
कहो तो लौट जाते हैं…
 
ये रस्ता प्यार का रस्ता;
 
ये रस्ता प्यार का रस्ता;
 
रसन<ref>रस्सी </ref> का, दार<ref> फांसी</ref> का रस्ता बहुत दुश्वार है जानाँ  
 
रसन<ref>रस्सी </ref> का, दार<ref> फांसी</ref> का रस्ता बहुत दुश्वार है जानाँ  
कि इस रस्ते का हर ज़र्रा भी इक कोहसार है जानाँ  
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कि इस रस्ते का हर ज़र्रा<ref> कण</ref>भी इक कोहसार<ref>पहाड़ </ref>है जानाँ  
 
कहो तो लौट जाते हैं…
 
कहो तो लौट जाते हैं…
 
मेरे बारे न कुछ सोचो…
 
मेरे बारे न कुछ सोचो…
 
मुझे तय करना आता है रसन का, दार का रस्ता…
 
मुझे तय करना आता है रसन का, दार का रस्ता…
ये असाबों<ref> बेचैनी</ref> भरा रस्ता ये अंधी घार<ref>खोह </ref> का रस्ता
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ये आसिबों<ref> डरावना</ref> भरा रस्ता ये अंधी घार<ref>खोह </ref> का रस्ता
 
तुम्हारा नर्म-ओ-नाज़ुक हाथ हो अगर मेरे हाथों में,
 
तुम्हारा नर्म-ओ-नाज़ुक हाथ हो अगर मेरे हाथों में,
 
तो मैं समझूँ के जैसे दो जहाँ है मेरी मुट्ठी में
 
तो मैं समझूँ के जैसे दो जहाँ है मेरी मुट्ठी में
 
तुम्हारा कुर्ब<ref>नजदीकी, साथ </ref> हो तो मुश्किलें काफ़ूर<ref> ख़त्म होना</ref> हो जाएँ
 
तुम्हारा कुर्ब<ref>नजदीकी, साथ </ref> हो तो मुश्किलें काफ़ूर<ref> ख़त्म होना</ref> हो जाएँ
 
ये अन्धे और काले रास्ते पुर-नूर<ref>रोशनी से भरे हुए </ref> हो जाएँ
 
ये अन्धे और काले रास्ते पुर-नूर<ref>रोशनी से भरे हुए </ref> हो जाएँ
तुम्हारे गेसुओं के छाँव मिल जाए तो  
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तुम्हारे गेसुओं की छाँव मिल जाए तो  
 
सूरज से उलझना बात ही क्या है
 
सूरज से उलझना बात ही क्या है
 
उठा लो अपना साया तो मेरी औक़ात ही क्या है
 
उठा लो अपना साया तो मेरी औक़ात ही क्या है
 
मुझे मालूम है इतना के दामें-ज़िन्दगी <ref>ज़िन्दगी का दामन </ref>पोशीदा <ref> छिपा हुआ</ref>है इन चार क़दमों में  
 
मुझे मालूम है इतना के दामें-ज़िन्दगी <ref>ज़िन्दगी का दामन </ref>पोशीदा <ref> छिपा हुआ</ref>है इन चार क़दमों में  
बहुत सी राहतें मुज्मिर<ref> छिपा हुआ</ref> है इन दुश्वार रस्तों में
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बहुत सी राहतें मुज्मिर<ref>छिपा हुआ</ref> है इन दुश्वार रस्तों में
 
मेरे बारे न कुछ सोचो तुम अपनी बात बतलाओ
 
मेरे बारे न कुछ सोचो तुम अपनी बात बतलाओ
 
कहो तो चलते रहते हैं कहो तो लौट जाते हैं
 
कहो तो चलते रहते हैं कहो तो लौट जाते हैं

18:57, 10 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण

कहो तो लौट जाते हैं....
अभी तो बात लम्हों तक है, सालों तक नहीं आई
अभी मुस्कानों की नौबत भी नालों तक नहीं आई
अभी तो कोई मजबूरी ख़यालों तक नहीं आई
अभी तो गर्द पैरों तक है, बालों तक नहीं आई
कहो तो लौट जाते हैं…
चलो एक फ़ैसला करने शजर<ref> दरख़्त</ref> की ओर जाते हैं
अभी काजल की डोरी सुर्ख़ गालों तक नहीं आई
ज़बाँ दांतों तलक है, ज़हर प्यालों तक नहीं आई
अभी तो मुश्क-ए-कस्तूरी<ref>कस्तूरी: नर हिरन की खुशबू </ref> ग़ज़ालों<ref> हिरणी</ref> तलक नहीं आई
अभी रुदाद-बे-उन्वाँ<ref> बिना शीर्षक की कहानी </ref> हमारे दर्मियाँ है
दुनियावालों तक नहीं आई
कहो तो लौट जाते हैं…
अभी नज़दीक है घर, और मंज़िल दूर है अपनी,
मुबादा नार <ref>प्यार की चिंगारी भड़क जाना </ref>हो जाए, ये हस्ती नूर है अपनी
कहो तो लौट जाते हैं…
ये रस्ता प्यार का रस्ता;
रसन<ref>रस्सी </ref> का, दार<ref> फांसी</ref> का रस्ता बहुत दुश्वार है जानाँ
कि इस रस्ते का हर ज़र्रा<ref> कण</ref>भी इक कोहसार<ref>पहाड़ </ref>है जानाँ
कहो तो लौट जाते हैं…
मेरे बारे न कुछ सोचो…
मुझे तय करना आता है रसन का, दार का रस्ता…
ये आसिबों<ref> डरावना</ref> भरा रस्ता ये अंधी घार<ref>खोह </ref> का रस्ता
तुम्हारा नर्म-ओ-नाज़ुक हाथ हो अगर मेरे हाथों में,
तो मैं समझूँ के जैसे दो जहाँ है मेरी मुट्ठी में
तुम्हारा कुर्ब<ref>नजदीकी, साथ </ref> हो तो मुश्किलें काफ़ूर<ref> ख़त्म होना</ref> हो जाएँ
ये अन्धे और काले रास्ते पुर-नूर<ref>रोशनी से भरे हुए </ref> हो जाएँ
तुम्हारे गेसुओं की छाँव मिल जाए तो
सूरज से उलझना बात ही क्या है
उठा लो अपना साया तो मेरी औक़ात ही क्या है
मुझे मालूम है इतना के दामें-ज़िन्दगी <ref>ज़िन्दगी का दामन </ref>पोशीदा <ref> छिपा हुआ</ref>है इन चार क़दमों में
बहुत सी राहतें मुज्मिर<ref>छिपा हुआ</ref> है इन दुश्वार रस्तों में
मेरे बारे न कुछ सोचो तुम अपनी बात बतलाओ
कहो तो चलते रहते हैं कहो तो लौट जाते हैं
कहो तो लौट जातें हैं...

शब्दार्थ
<references/>