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सद्गति‍ बि‍न उत्‍तर करम, जीवन का बि‍न नाक।।6।।
कागा महि‍मा जान लो ल्‍यो, पण्‍डि‍त काक भुशण्‍ड।इंद्र पुत्र जयंत कूँ , एक आँख कौ दण्‍ड।।7।।
आमि‍ष भोजी कागला, कोई प्रीत बढ़ाय।