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"कालीबंगा: कुछ चित्र-17 / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

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हांती-पांती
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हक की लड़ाई  
 
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ज़रूर मची होगी
 
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आँगन में पड़ी
 
आँगन में पड़ी
हाथीदांत की तलवारें  
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हाथीदाँत की तलवारें  
 
भरती हैं साख
 
भरती हैं साख
  

23:58, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

हाँती-पाँती
हक की लड़ाई
ज़रूर मची होगी
राजा-प्रजा में

कालीबंगा के भले दिनों
थेहड़ होने से पहले
जीती आखिरी जंग
कारू-कामगारों ने

बताते हैं
थेहड़ में मिले
दाँती-कस्सिया-हँसिया
निश्चय ही
राजा ही भागा

आँगन में पड़ी
हाथीदाँत की तलवारें
भरती हैं साख

पर उसकी खोज
मिले कैसे ?


राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा