भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काले काँ माहिया (माहिया गीत) / पंजाबी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पंजाबी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

काले काँ माहिया

बिछड़े सज्जनाँ दे

भुल्ल जांदे ने नाँ, माहिया !


भावार्थ

--'काले काग हैं

बिछुड़े हुए प्रेमियों के

नाम भी भूल जाते हैं ।'