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कासै कहों कोई मानै न कहो रे / संत जूड़ीराम

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कासै कहों कोई मानै न कहो रे।
बेजल को दरयाव भरेा है बीच धार जग जात बहो रे।
रमता राम रमौ घट ऐसे जैसे पावक दार भरोरे।
मथ उर काढ़ प्रवेश प्रचारे सोई पावक के झार दहो रे।
मन के सूत मथो येई तन प्रकट ज्ञान अज्ञान दहो रे।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हे बिन सतगुरु नहिं पार लगो रे।