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"कितनी सरलता से / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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एंजलीना जोली - 2

16:38, 10 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

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कितनी सरलता से
चली जाती है तू
असभ्यता और सभ्यता के ​​
मिलन बिंदु पर
निर्वस्त्र होती हुई
जैसे प्रसव पीड़ा की
बेचैनी को याद करती
तेरी आत्मा
इस मांसावरण को चीर
नूतन रूप
धारण करना चाहती हो।

एंजलीना जोली - 2