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किसने पिघले हुए अनल को पीने का हठ ठाना! / गुलाब खंडेलवाल

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किसने पिघले हुए अनल को पीने का हठ ठाना!
किसने कपिला कामधेनु पर क्रूर-कुटिल शर ताना!
शांत तपोवन के हरिणों को चाहा चट कर जाना!
यह भूखा भेड़िया कहाँ से आ पहुँचा दीवाना!
. . .
उनकी ही वाणी में है उनको समझाना पड़ता
शास्त्रों की मर्यादा के हित शस्त्र उठाना पड़ता
मोती उगते वहीं जहाँ मोती का दाना पड़ता
आँधी बोनेवाले को तूफान चबाना पड़ता