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किसी का उन्हें पास-ए-ग़ुर्बत नहीं है / 'रशीद' रामपुरी

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किसी का उन्हें पास-ए-ग़ुर्बत नहीं है
पराई मुसीबत मुसीबत नहीं है

तलब शेवा-ए-अहल-ए-हिम्मत नहीं है
मिरा दिल किसी की अमानत नहीं है

कुछ ऐसा ज़माने ने बदला है पहलू
किसी को किसी से मोहब्बत नहीं है

नसीबों से मिलता है दर्द-ए-मोहब्बत
ये वो चीज़ है जिस की क़ीमत नहीं है

बुतों से सितम पर भी इज़हार-ए-उल्फ़त
‘रशीद’ आप में आदमियत नहीं है