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किस से बिछड़ी कौन मिला था भूल गई / फ़ातिमा हसन

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किस से बिछड़ी कौन मिला था भूल गई
कौर बुरा था कौन था अच्छा भूल गई

कितनी बातें झूठी थीं और कितनी सच
जितने भी लफ़्ज़ों को परखा भूल गई

चारों ओर थे धुंधले चेहरे से
ख़्वाब की सूरत जो भी देखा भूल गई

सुनती रही मैं सब के दुख ख़ामोशी से
किस का दुख था मेरे जैसा भूल गई

भूल गई हूँ किस से मेरा नाता था
और ये नाता कैसे टूटा भूल गई