भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ अलग ही यहाँ मेरी पहचान है / कैलाश झा 'किंकर'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:18, 19 जुलाई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश झा 'किंकर' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ अलग ही यहाँ मेरी पहचान है
खूब मिलता मुझे मान-सम्मान है।

मेरी नज़रों में कोई पराया नहीं
सब हैं मेरे सभी में मेरी जान है।

हर तरह के सुमन से है माला बनी
एकता है तो लब पर मधुर गान है।

आज ओले पड़े इस क़दर हैं यहाँ
रो रहा चारसू खेत-खलिहान है।

जीत से हार से मुझको मतलब नहीं
सिर्फ करना मुझे अपना मतदान है।