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"कुछ और भी है उन आँखों की बेज़ुबानी में / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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08:24, 2 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
कुछ और भी है उन आँखों की बेज़ुबानी में
चमक रहे हैं सितारे नदी के पानी में
हमारे दिल का तड़पना ही रंग लाया है
नहीं तो क्या था भला आपकी कहानी में!
पता नहीं था कि कटकर गयी है मंज़िल से
वो राह हमने जो धर ली थी नौजवानी में
दिखा दे जोर दिखाना हो जो तुझे, तूफ़ान!
उठेगा अब न कहीं बुलबुला भी पानी में
गुलाब खिल नहीं पाते हैं जो बहार में भी
कमी तो कुछ है कहीं उनकी बाग़वानी में