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कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं / ओसिप मंदेलश्ताम

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कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं

कुछ सीखने की भी ज़रूरत नहीं

बहुत उदास है पर है भली-भली

उसकी वहशियाना आत्मा काली


कुछ सीखना वह चाहती नहीं

और ख़ुद कुछ कह पाती नहीं

तैर रही है युवा डेल्फ़िन-सी

दुनिया के प्राचीन भँवर में ही


(रचनाकाल : 1909)