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कुण अर कठै / गौतम अरोड़ा

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{{KKRachna
|रचनाकार= गौतम अरोड़ा
|संग्रह=
}}‎
{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poem>मून तोड़
सून सूं आंवती आवाजां
आभै गूंजता नारा
कुण हा वै
किण सारू हा
अर अबै है कठै ??</poem>
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