भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कैसे कहूँ दिले हाल अपना / तारा सिंह

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:22, 29 अप्रैल 2014 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कैसे कहूँ दिले हाल अपना, बेरुखी पे तुली
अहले–दुनिया1कहती,तू बात करने काबिल नहीं है

तेरे सीने में जो धड़कता है दिल, वह
दिल तो है, मगर जिन्स-ए-दिल2 नहीं है

दुनिया ने दागे-सौदा3 का नजराना दिया है
तुझको, तू कहता,मेरा दिल इसके काबिल नहीं है

तू न किसी का हुआ, न तेरा कोई हो सका
तू मुसाफ़िर है उस पथ का,जिसकी मंजिल नहीं है

अजल4 तुझको गले लगाकर, कहाँ से कहाँ ले आई
तू कहता,सिवा हसरते5 मुझको कुछ हासिल नहीं है

1. पूरी दुनिया 2. दिल जैसा दिल 3. पागलपन 4. मृत्यु 5. तमन्ना