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"कोई हमें सताये, सताता ही जाये तो / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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01:47, 7 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
कोई हमें सताए, सताता ही जाये तो
हम क्या करें जो मौत भी आकर न आये तो!
झूठा है प्यार, उनमें जो रंगत नहीं आये
कोई हमारी आँखों से आँखें मिलाये तो!
अब और कुछ बने न बने, ख़ुश हैं हम कि आज
बातें हमारी सुनके ही वे मुस्कुराये तो
माना कि आज रूप ने परदा उठा दिया
हम क्या करें नज़र ही अगर उठ न पाये तो!
यादों पे कल हमारी चढ़ायेंगे फूल वे
उनकी बला से जाए अगर जान जाये तो
देखें ग़ज़ल में रंग जमाता है यहाँ कौन
कोई ज़रा गुलाब की ख़ुशबू उड़ाये तो!