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"कोठी-बियाबानी / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर

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निद्रालस भरा-भरा
 
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बियाबान अब न रहा ।
 
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रास्ता आम है अब
 
रास्ता आम है अब
 
 
और काफ़ी मशगूल ।
 
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डैनों के बल फाटक के खम्भों पर लटकीं
 
डैनों के बल फाटक के खम्भों पर लटकीं
 
 
काई पुती सीमेंट की फ़रिश्तिनें
 
काई पुती सीमेंट की फ़रिश्तिनें
 
 
ताकती हैं ट्राफ़िक को ।
 
ताकती हैं ट्राफ़िक को ।
 
 
इतने जाते हैं, इतने आते
 
इतने जाते हैं, इतने आते
 
 
मगर कोई आता नहीं ।
 
मगर कोई आता नहीं ।
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17:06, 11 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

निद्रालस भरा-भरा
बियाबान अब न रहा ।
रास्ता आम है अब
और काफ़ी मशगूल ।
डैनों के बल फाटक के खम्भों पर लटकीं
काई पुती सीमेंट की फ़रिश्तिनें
ताकती हैं ट्राफ़िक को ।
इतने जाते हैं, इतने आते
मगर कोई आता नहीं ।