भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौने बन फ़ुलय अहेली कौने बन बेली फ़ूल रे ललना / मैथिली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:18, 22 सितम्बर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कौने बन फ़ुलय अहेली कौने बन बेली फ़ूल रे ललना कौने बन कुसुम फ़ुलायत चुनरी रंगाओत रे।
बाबा बन फ़ूलय अएली फ़ूल भईया बन बेली फ़ूल रे ललना पिया बन फ़ूलय कुसुम चुनरी रंगाओत रे ।
पहिरि ओढीय सुन्दरि ठाढ भेली देहरि धेने ठाढ भेली रे ललना घुमईत फ़िरईत आयल पिया पलंग पर लय जायब हे।
सासु हम दुःख दारुण नन्दी झगडाइन हे पिया हम जायब घर मुनहर पलंग नहीं जायब रे।


यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से