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"क्यूं तुझको लग रहा है कि तुझसे जुदा हूँ मैं / सिया सचदेव" के अवतरणों में अंतर

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अल्लाह रे ज़माना-ए-हाज़िर का क्या करें
 
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हर शख्स कह रहा है यहाँ पर खुदा हूँ मैं  
 
हर शख्स कह रहा है यहाँ पर खुदा हूँ मैं  
 
  
 
कितना ज़माना हो गया भूली हूँ मैं  हँसी
 
कितना ज़माना हो गया भूली हूँ मैं  हँसी

17:01, 5 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण


क्यूं तुझको लग रहा है कि तुझसे जुदा हूँ मैं
मुझमें तू खुद को देख तेरा आईना हूँ मैं

ऐ दिल ! तेरा यकीन तो तोड़ा है सभी ने
दुनिया की बात क्या करूँ ख़ुद से ख़फ़ा हूँ मैं

बस तेरा आसरा है मुझे ऐ मेरे खुदा
सजदे में तेरे हर घडी महवे-दुआ हूँ मैं

अल्लाह रे ज़माना-ए-हाज़िर का क्या करें
हर शख्स कह रहा है यहाँ पर खुदा हूँ मैं

कितना ज़माना हो गया भूली हूँ मैं हँसी
लगता हैं जैसे दर्द का इक सिलसिला हूँ मैं

तेरे बगैर मैं तो अधूरी थी शायरी
पहचान खुद से जब हुयी जाना सिया हूँ मैं