भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्यों / श्रीनाथ सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पूछूँ तुमसे एक सवाल,
झटपट उत्तर दो गोपाल
मुन्ना के क्यों गोरे गाल?
पहलवान क्यों ठोके ताल?

भालू के क्यों इतने बाल?
चले सांप क्यों तिरछी चाल?
नारंगी क्यों होती लाल?
घोड़े के क्यों लगती नाल?

झरना क्यों बहता दिन रात?
 जाड़े में क्यों कांपे गात?
हफ्ते में क्यों दिन हैं सात?
बुड्ढों के क्यों टूटे दांत?

ढ़म ढ़म ढ़म क्यों बोले ढ़ोल?
पैसा क्यों होता है गोल?
मीठा क्यों होता है गन्ना?
 क्यों चम चम चमकीला पन्ना?

 लल्ली क्यों खेल रही गुड़िया?
 बनिया बांध रहा क्यों पुड़िया?
 बालक क्यों डरते सुन हौआ?
 काँव काँव क्यों करता कौआ?

नानी को क्यों कहते नानी?
पानी को कहते क्यों पानी?
हाथी क्यों होता है काला?
 दादी फेर रही क्यों माला?

पक कर फल क्यों होता पीला?
आसमान क्यों नीला नीला?
आँख मूँद क्यों सोते हो तुम?
पिटने पर क्यों रोते हो तुम?