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क्षणिकाएं / कुमार मुकुल

140 bytes added, 06:34, 8 जुलाई 2019
पत्‍थर है वो
उसी ने सांसें
रोक संभाल रक्‍खी हैं। पत्थरदिली सेवाकिफ हूँहाँ, मेरी शख्सियत भीदूब है।
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