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"खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
 
खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
मगर गुलाब है खिलता किसी-किसी के लिए
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मगर गुलाब है खिलता किसी-किसी के लिये
  
 
न मौत के लिये आये न ज़िन्दगी के लिये
 
न मौत के लिये आये न ज़िन्दगी के लिये
तड़पने आये हैं दुनिया में दो घड़ी के लिए
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तड़पने आये हैं दुनिया में दो घड़ी के लिये
  
 
अदाएं तेरी जो, ऐ ज़िन्दगी! सँभाल सके  
 
अदाएं तेरी जो, ऐ ज़िन्दगी! सँभाल सके  
कलेजा चाहिए पत्थर का आदमी के लिए
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कलेजा चाहिए पत्थर का आदमी के लिये
  
 
ये हमने माना कि जीवन है एक अँधेरी रात
 
ये हमने माना कि जीवन है एक अँधेरी रात
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करेगा कौन उन्हें प्यार अब हमारी तरह!
 
करेगा कौन उन्हें प्यार अब हमारी तरह!
न चाँद फिर कभी निकलेगा चाँदनी के लिए
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न चाँद फिर कभी निकलेगा चाँदनी के लिये
  
 
जहां भी होती है चर्चा तेरी रंगीनी की
 
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हमारा नाम भी लेते हैं सादगी के लिये
 
हमारा नाम भी लेते हैं सादगी के लिये
 
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09:45, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
मगर गुलाब है खिलता किसी-किसी के लिये

न मौत के लिये आये न ज़िन्दगी के लिये
तड़पने आये हैं दुनिया में दो घड़ी के लिये

अदाएं तेरी जो, ऐ ज़िन्दगी! सँभाल सके
कलेजा चाहिए पत्थर का आदमी के लिये

ये हमने माना कि जीवन है एक अँधेरी रात
कभी तो वे भी चले आयें रोशनी के लिये

करेगा कौन उन्हें प्यार अब हमारी तरह!
न चाँद फिर कभी निकलेगा चाँदनी के लिये

जहां भी होती है चर्चा तेरी रंगीनी की
हमारा नाम भी लेते हैं सादगी के लिये