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"खुदी का नशा चढ़ा आपमें रहा न गया / यगाना चंगेज़ी" के अवतरणों में अंतर

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10:04, 9 जुलाई 2009 का अवतरण

खुदी का नशा चढ़ा आप में रहा न गया।

ख़ुदा बने थे ‘यगाना’ मगर बना न गया॥


गुनाहे-ज़िंदादिली कहिये या दिल-आज़ारी<ref>सताना</ref>।

किसी पै हँस लिये इतना कि फिर हँसा न गया॥


समझते क्या थे, मगर सुनते थे तर्रानाये-दर्द।

समझ में आने लगा जब तो फिर सुना न गया॥


पुकारता रहा किस-किसको डूबनेवाला।

ख़ुदा थे इतने, मग्र कोई आड़े आ न गया॥


शब्दार्थ
<references/>