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गली-गली अजब तमाशा हो गया है / शमशाद इलाही अंसारी

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गली गली अजब तमाशा हो गया है
हिमाकत जैसे सवाल पूछना हो गया है

वायज़ का ये कहना है कि जियो जैसे मैं कहूँ
उठायी मैंने जो उंगली तो फ़साना हो गया है

वो भरता रहा ज़हर मेरी रगों में अपने फ़िरके का
छोडा जो फ़िरका मैंने तो मुआशरा बेगाना हो गया है

वो कहते रहे कि आयेगा अमन का इंकलाब एक दिन
और बात कि रस्मे जीस्त मुश्किल निभाना हो गया है

जब से हुई है नाफ़िज़ हुकुमते मुल्लाह मेरे शहर में
इंसानियत के नातों से घर मेरा अंजाना हो गया है

गिर गिर के "शम्स" खुद संभल जायेगा एक दिन
रोना हुआ है ज़्यादा कम हंसना हंसाना हो गया है