भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गळगचिया (51) / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 +
हँसतो हँसतो ही फूल अचाणचूको झड़ग्यो, पानड़ा बेलीताप कर र पूछ्यो आ चानडी मौत कुँनैं स्यूँ आई ? रूँख रो र बोल्यो- कठीनैं स्यूँ बताऊँ ? को आँती रा खोज मंडै न को जाँती रा !
 
</poem>
 
</poem>

15:51, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

हँसतो हँसतो ही फूल अचाणचूको झड़ग्यो, पानड़ा बेलीताप कर र पूछ्यो आ चानडी मौत कुँनैं स्यूँ आई ? रूँख रो र बोल्यो- कठीनैं स्यूँ बताऊँ ? को आँती रा खोज मंडै न को जाँती रा !