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गळगचिया (51) / कन्हैया लाल सेठिया

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हँसतो हँसतो ही फूल अचाणचूको झड़ग्यो, पानड़ा बेलीताप कर र पूछ्यो आ चानडी मौत कुँनैं स्यूँ आई ? रूँख रो र बोल्यो- कठीनैं स्यूँ बताऊँ ? को आँती रा खोज मंडै न को जाँती रा !