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18:41, 13 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
गिला किसे है कि क़ातिल ने नीमजाँ<ref>अर्द्धमृतक</ref> छोड़ा।
तड़प-तड़प के निकालूँगा हौसला दिल का॥
ख़ुदा बचाये कि नाज़ुक है उनमें एक-से-एक।
तुनक-मिज़ाजों से ठहरा मुआमला दिल का॥
किसी के हो रहो अच्छी नहीं यह आज़ादी।
किसी को ज़ुल्फ़ से लाज़िम है सिलसिला दिल का॥
पियाला ख़ाली उठाकर लगा लिया मुँह से।
कि ‘यास’ कुछ तो निकला जाय हौसला दिल का॥
शब्दार्थ
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