भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गीत / बालकृष्ण काबरा 'एतेश' / लैंग्स्टन ह्यूज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़ |अनुवादक=बालकृ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
वे पिघल जाएँ
 
वे पिघल जाएँ
 
बर्फ़ की तरह
 
बर्फ़ की तरह
उन्हें फेंक दो सूर्य पर।
+
 
 +
उन्हें  
 +
फेंक दो  
 +
सूर्य पर।
  
 
''' अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ '''
 
''' अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ '''
 
</poem>
 
</poem>

16:26, 27 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण

जो भी गीत तुम जानते हो
उन्हें अन्धेरे से निकाल
तुरन्त एकत्र करो

और
इससे पहले कि
वे पिघल जाएँ
बर्फ़ की तरह

उन्हें
फेंक दो
सूर्य पर।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’