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गीत 13 / अठारहवां अध्याय / अंगिका गीत गीता / विजेता मुद्गलपुरी
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सुनोॅ धनंजय, आव बुद्धि अरु धृति के गुण तों जानोॅ
साथें एकरोॅ तीन भेद छिक तीनों के पहचानोॅ।
तीन भेद बुद्धि के
धृति के तीन भेद कहलावै,
सात्विक-राजस अरु तामस गुण
अपन प्रभाव बतावै,
प्रवृत्ति अरु निवृत्ति मार्ग के भी प्रभाव पहचानोॅ।
जे गृहस्थ, जे वानप्रस्थ छै
निज आश्रम वासी छै,
ममता आसक्ति त्यागी जे
साधक संन्यासी छै,
दान-यग-तप शुभ कारज प्रवृत्ति मार्ग छिक मानोॅ।
खान-पान में, रहन-सहन में
शुभ आचरण गहै छै,
ज्ञानी जन शुभ कारज के
प्रवृत्ति मार्ग समझै छै,
जग के नै ईश्वर के मन में चाह रहै छै जानोॅ
सुनोॅ धनंजय तों एकरा प्रवृत्ति मार्ग पहचानोॅ।