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"गौतम की तरह घर से निकल कर नहीं जाते / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार= मुनव्वर राना | |रचनाकार= मुनव्वर राना | ||
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17:07, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
गौतम की तरह घर से निकल कर नहीं जाते
हम रात में छुपकर कहीं बाहर नहीं जाते
बचपन में किसी बात पर हम रूठ गए थे
उस दिन से इसी शहर में है घर नहीं जाते
एक उम्र यूँ ही काट दी फ़ुटपाथ पे रहकर
हम ऐसे परिन्दे हैं जो उड़कर नहीं जाते
उस वक़्त भी अक्सर तुझे हम ढूँढने निकले
जिस धूप में मज़दूर भी छत पर नहीं जाते
हम वार अकेले ही सहा करते हैं ‘राना’
हम साथ में लेकर कहीं लश्कर नहीं जाते