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घमंड / भास्कर चौधुरी

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वह बताती रही लगातार
अपने बारे में
अपने धन-दौलत के बारे में
और कहती रही
उसे घमंड नहीं ज़रा भी
इतना कुछ है उसके पास फिर भी

कहा उसने
वह घृणा करती है उन लोगों से
घमंड करते हैं जो...

कुछ पलों बाद
उसने फ़्लास्क से उढ़ेला
और सुड़कने लगी चाय
उस ठंडे कमरे में
केवल वह और मैं
गूंजने लगी सुड़कने की आवज़
सुड़ूक-सुड़ूक... फुरुत-फुरुत...!!