भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घुळ्गांठ / कमल रंगा

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:47, 9 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमल रंगा |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasthani‎}} {{KKCatKavita‎}}<poem>घुळ्गांठ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घुळ्गांठ
नीं खुली
थारै झाझै जतनां
उळ्झ्योड़ी
प्रीत री घुळ्गांठ
जाणै
जड़-चेतन री ग्रंथी
रची
स्रिस्टी रै सरुपोत में
आपां दोवूं मिळ’र ई