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"चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में सजन घर जाना है / हिन्दी लोकगीत" के अवतरणों में अंतर

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चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
 
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में  
सज्जन घर जाना है -२   
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सजन घर जाना है -२   
  
 
कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२  
 
कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२  

11:17, 18 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में
सजन घर जाना है -२

कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
दादा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
ताऊ जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में
सजन घर जाना है-२

कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
पापा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
चाचा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में
सजन घर जाना है -२

कैसे चलूँ सजन के घर ओ कहार -२
फूफा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
मामा जी खड़े आँगन में लाज-शर्म मुझे आती है
चल बन्नी इस घर से बैठ मोटर में
सजन घर जाना है -२