भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चांद तन्हा है आसमां तन्हा / मीना कुमारी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=मीना कुमारी
 
|रचनाकार=मीना कुमारी
}}  
+
}}{{KKAnthologyChand}}
 
+
{{KKCatGhazal}}
[[category: ग़ज़ल]]
+
 
+
 
<poem>
 
<poem>
 +
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
 +
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा
  
चाँद तन्हा है आसमां तन्हा,
+
बुझ गई आस, छुप गया तारा,
दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा
+
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
 
+
बुझ गई आस छुप गया तारा,
+
थरथराता रहा धुँआ तन्हा
+
  
जिंदगी क्या इसी को कहते हैं,
+
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जान तन्हा
+
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
  
 
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
 
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें तन्हा तन्हा
+
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा
  
जलती बुझती सी रोशनी के परे,
+
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकां तन्हा
+
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा
  
राह देखा करेगा सदियॊं तक  
+
राह देखा करेगा सदियों तक  
छॊड़ जायेंगे यह जहाँ तन्हा
+
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।
 +
</poem>

12:26, 1 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा

बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा

जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।