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चुनावी मौसम / जितेन्द्र 'जौहर'

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फिर चुनाव का मौसम आया,
इश्तियहार आये!
आकर्षक मनभावन वादे,
बेशुमार आये!

गली-गली चौखट चौराहे
पर लटके वादे।
एकनिष्ठ हो सभी निशाना
वोटों पर साधे।

हंस-वेश में बग़ुले काफी,
होशियार आये।
फिर चुनाव का मौसम आया,
इश्तिाहार आये!

अस्पताल, सड़कें, तकनीकी
विद्यालय होंगे।
और झोपड़ी में अँगरेज़ी
शौचालय होंगे।

खादी के मन में विकास के
सद्‌विचार आये।
फिर चुनाव का मौसम आया,
इश्तियहार आये!