भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चुप नहीं रह सकता आदमी / संध्या गुप्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चुप नहीं रह सकता आदमी
जब तक हैं शब्द
आदमी बोलेंगे

और आदमी भले ही छोड़ दे लेकिन
शब्द आदमी का साथ कभी छोड़ेंगे नहीं

अब यह आदमी पर है कि वह
बोले ...चीख़े या फुसफुसाए

फुसफुसाना एक बड़ी तादाद के लोगों की
फ़ितरत है!

बहुत कम लोग बोलते हैं यहाँ और...
चीख़ता तो कोई नहीं के बराबर ...

शब्द ख़ुद नहीं चीख़ सकते
उन्हें आदमी की ज़रूरत होती है
और ये आदमी ही है जो बार-बार
शब्दों को मृत घोषित करने का
षड्यंत्र रचता रहता है !